इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की, कब और कैसे हुई?

इलेक्ट्रॉन (Electron) एक प्रकार का ऋणात्मक वैद्युत आवेश एंव उपपरमाणविक कण होता है. अन्य कणों जैसा ही इलेक्ट्रॉन की खोज के पीछे की कहानी थोड़ी अद्भुत है जो इस आर्टिकल में इलेक्ट्रॉन की खोज किसने कि, कब और कैसे हुई? आदि से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्राप्त होने वाली है.

सबसे पहले इलेक्ट्रॉन की खोज जे. जे. थॉमसन (J. J. Thomson) के द्वारा की गई थी. इसलिए उन्हें इलेक्ट्रॉन की खोजकर्ता के रूप में जाना जाता है. थॉमसन पहले वह वेक्ति थे जिन्होंने आज से 121 वर्ष पहले परमाणु के इस कण की खोज की थी.

यदि आप इलेक्ट्रॉन की खोज करने वाले जे. जे. थॉमसन के बारे में, इसकी खोज कैसे हुई, और इसके इतिहास आदि के बारे में जानना चाहते हैं तो आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ सकते हैं.

इलेक्ट्रॉन क्या है इन हिंदी? (Definition of Electron in Hindi)

इलेक्ट्रॉन क्या है

इलेक्ट्रॉन (Electron ) परमाणु में नाभिक के चारो ओर चक्कर लगाने वाला एक कण है, जिसपर विद्युत आवेश ऋणावेशित (Negatively Charged) होते हैं.

यह लिप्टन कण परिवार की पहली पीढ़ी होती है जो आमतौर पर प्राथमिक कण माने जाते हैं. आपकों बता दें इलेक्ट्रॉन की द्रव्यमान इतनी कम है कि हाइड्रोजन की द्रव्यमान इससे हजारगुना ज़्यादा होती है.

परमाणु (Atom) के अंदर नाभिक केंद्र (Nucleus) होता है जिसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन साथ में रहते हैं और Electrons चारो ओर चक्कर लगाते है.

इलेक्ट्रॉन को e- द्वारा represent किया जाता है जो तीन परमाणु कणों का सबसे छोटा कण है. यहां e- का मतलब एक नेगेटिव चार्ज पार्टिकल (electron) को दर्शाता है.

यह बहुत ही छोटे कण होते हैं जिनकी परमाणु संख्या नाभिक केंद्र (Nucleus) में मौजूद पॉजिटिव चार्ज पार्टिकल्स (Proton) के बराबर होती है.

इलेक्ट्रॉन की स्पीड इतनी तेज होती है कि इसकी एक समय पर सही जगह नहीं बतलाया जा सकता है. इन्हीं कणों की गति और चाल के कारण विद्युत उत्पन्न होता है और साथ ही करंट का पैदा किया जाता है.

इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की ? (Electron Ki Khoj)

इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की

सर जे. जे. थॉमसन (Sir Joseph John Thomson) ने सर्वप्रथम इलेक्ट्रॉन (Electron) की खोज सन् 1897 में किया था. वे पहले वेक्ति थे जिन्होंने इस कण के बारे में दुनिया को बतलाया इसलिए उन्हें इलेक्ट्रॉन की खोजकर्ता के रूप में जाना जाता है.

वे एक अंग्रेजी भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने कैथोड किरणों की जांच के दौरान इलेक्ट्रॉन के बारे में पता लगाया था. आपकों बता दें उनकी इस खोज की वजह से परमाणु विज्ञान की दिशा बदल गई थी.

वर्ष 1906 में, उन्हें थॉमसन गैसों में बिजली के चालन पर अपने काम के लिए भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उनके रिकॉर्ड की तुलना जर्मन भौतिकशास्त्री अर्नाल्ड सोम्मेरफील्ड के बराबर किया जाता है.

उनके सात छात्रों के साथ – साथ उनके बेटे जॉर्ज पेजेट थॉमसन ने भी भौतिक विज्ञान एंव रसायन शास्त्र में अपने काम के कारण नोबेल पुरस्कार विजेता बने.

चलिए अब इलेक्ट्रॉन के खोजकर्ता सर जे.जे. थॉमसन के बारे में थोड़ी जानकारी और प्राप्त करते हैं.

इलेक्ट्रॉन के खोजकर्ता जे.जे. थॉमसन के बारे में 

इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की जे.जे. थॉमसन (Sir Joseph John Thomson) 
जन्म18 दिसम्बर 1856, इंग्लैंड
मृत्यु30 अगस्त 1940, इंग्लैंड
क्षेत्रभौतिकी
शिक्षामैनचेस्टर विश्वविद्यालय
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
संस्थानकैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
राष्ट्रीयताब्रिटिश
अकादमी सलाहकारजॉन विलियम स्ट्रट, रेले

 

 

एडवर्ड रौथ

उल्लेखनीय शिष्यचार्ल्स ग्लोवर बार्कला
चार्ल्स टी आर विल्सन
अर्नेस्ट रदरफोर्ड
फ्रांसिस विलियम एस्टन
जॉन टाउनसेंड
जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर
ओवेन रिचर्डसन
विलियम हेनरी ब्रैग
एच. एलेन स्टैनली
जॉन जे़लेनी
डैनियल फ्रॉस्ट कॉमस्टोक
मैक्स बोर्न
टी एच लेबी
पॉल लैंगेविन
बालथ्सर वैन डेर पोल
जेफ्री इनग्राम टेलर
प्रसिद्धिइलेक्ट्रॉन की खोज एंव डिस्कवरी
प्लम पुडिंग मॉडल
समस्थानिक की डिस्कवरी
द्रव्यमान स्पेक्ट्रोमीटर का आविष्कार
पहली मास – आवेश अनुपात की गणना
पहला प्रस्तावित तरंगमार्गदर्शिका
थॉमसन प्रकीर्णन
थॉमसन समस्या
शब्द ‘डेल्टा रे’ की शुरुआत
शब्द ‘एप्सिलॉन विकिरण’ की शुरुआत
थॉमसन (इकाई)
पुरस्कारभौतिकी में नोबेल पुरस्कार (1906)

इलेक्ट्रॉन की खोज कब हुई?

इलेक्ट्रॉन की खोज आज से 121 वर्ष पहले सन् 1897 में हुई थी. इस निगेटिव चार्ज पार्टिकल्स इलेक्ट्रॉन की खोज ब्रिटिश भौतिकशास्त्री जे. जे. थॉमसन ने कैथोड किरणों की जांच के दौरान किया था.

इलेक्ट्रॉन की खोज कहा हुई?

इस कण की खोज कैथोड किरणों की जांच के दौरान ब्रिटिश लैब में सर जे. जे. थॉमसन द्वारा सन् 1897 में हुई थी.

इलेक्ट्रॉन की खोज कैसे हुई?

अभी तक आप जान चुके हैं इलेक्ट्रॉन क्या है, इसकी खोज किसने की और कब? चलिए अब जानते हैं इलेक्ट्रॉन की खोज कैसे हुई? की पूरी जानकारी.

Electron Ki Khoj Kaise Hui (इलेक्ट्रॉन की खोज कैसे हुई थी) 

जैसे कि आप जानते हैं संपूर्ण ब्रह्मांड में जो भी चीजें हैं वह पदार्थ से बने है और कोई भी पदार्थ छोटे-छोटे अविभाज्य कणों से बना होता है जिसे परमाणु (Atom) कहते हैं.

जॉन डाल्टन ने अपने Atomic Theory में बतलाया था कि परमाणु को विभाजित नहीं किया जा सकता लेकिन यह आज सच्चाई नहीं है. वर्ष 1897 में, ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी जे.जे. थॉमसन ने “क्रुक्स नलिका” (Crookes tube) पर कार्य कर रहे थे तभी उन्होंने एक ऋणावेशित कण की खोज की जिन्हें आज इलेक्ट्रॉन के नाम से जाना जाता है.

प्रतेक परमाणु में 3 मुख्य कण होते हैं :

  • इलेक्ट्रॉन (Electron)
  • प्रोटोन (Proton)
  • न्यूट्रॉन (Neutron)

सर जे.जे. थॉमसन ने जिस नलिका पर प्रयोग अपने एक्सपरिमेंट में किया था उसे Discharge Tube कहते हैं, जो शीशे की एक नाली होती है और जिसमें धातु के दो इलेक्ट्रोड लगे होते हैं.

उनके द्वारा कैथोड किरण ट्यूबों के प्रयोगों से पता चला कि सभी परमाणुओं में छोटे उप-परमाणु कण या इलेक्ट्रॉन होते हैं जो नकारात्मक रूप से चार्ज होते हैं.

थॉमसन ने परमाणु की प्लम पुडिंग अवधारणा का सुझाव दिया, जिसमें सकारात्मक ऊर्जा से भरे “सूप” में फंसे इलेक्ट्रॉनों को नकारात्मक रूप से चार्ज किया गया था.

बाद में Photoelectric तथा Thermoelectric में कणों के लिए भी द्रव्यमान एवं आवेश का मान बराबर पाया गया जिससे यह सिद्ध हो गया कि इलेक्ट्रॉन तत्व की मूल रचनात्मक इकाई हैं.

इलेक्ट्रॉन की खोज के लिए प्रयोग (Cathode Ray Experiment in Hindi)

cathode ray experiment diagram hindi

सेटअप (Setup) :

  • सबसे पहले Cathode Ray Discharge Tube में वैक्यूम पम्प की मदद से अंदर की गैसों की दाब को कम या पूरी तरह से खाली किया जाता है.
  • उसके बाद पॉज़िटिव प्लेट वाली anode में छोटे छोटे छेद किये जाते हैं और anode के पीछे Zns का स्क्रीन लगाया जाता है, जो इमेज को sky blue color करता है.
  • इस नली में लगी दोनों इलेक्ट्रोडों पर High Voltage अप्लाई करने पर anode के पीछे लगे जिंक सल्फाइड (Zns) की स्क्रीन चमक उठती है, जिसका मतलब है कुछ किरणें कैथोड से निकलकर anode के छिद्रों की तरफ जाती हुई प्रतीत होता है, जिसे कैथोड किरणों (Cathode Rays) कहा जाता है.

अवलोकन (Observation) :

  • जब इलेक्ट्रोडों पर High Voltage अप्लाई किया जाता है तब सभी छोटे छोटे कणों एक तीव्र गति से सीधी रेखा में Cathode से निकलकर Anode की योर जाती है.
  • पथ में रखी धात्विक वस्तु की छाया कैथोड के विपरीत दीवार पर डाली जाती है.
  • कांच की दीवार के पदार्थ से टकराने पर वे एक हरे रंग की चमक पैदा करती हैं और जैसे ही यह किरणें जिंक सल्फाइड (Zns) स्क्रीन से टकराते हैं तब प्रकाश उत्सर्जित होता है.
  • वही जब उनके रास्ते में एक छोटा पिन व्हील (Pin Wheel) रखा जाता है, तब पहिए के ब्लेड गति में हो जाते हैं. इससे यह पता चलता है कि कैथोड किरणों में भौतिक कण (Material Particles) होते हैं जिनमें द्रव्यमान और वेग होता है.
  • इस कण की प्रकृति जानने के लिए कैथोड की Discharge Tube पर विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र लगाया जाता है, जिससे वे विक्षेपित होते हैं.
  • जब दो विद्युत आवेशित प्लेटों के बीच किरणें गुजरती हैं, तो ये धनावेशित प्लेट की ओर विक्षेपित हो जाती हैं. यह दर्शाता है कि कैथोड किरण निगेटिव (-ve) होती है.
  • इन कणों में ऋणात्मक आवेश होता है जिसे थॉमसन द्वारा नेगट्रॉन (Nagatrons) कहा गया.
  • बाद में स्टोनी द्वारा नागाट्रोन नाम बदलकर इलेक्ट्रॉन कर दिया गया.
  • पदार्थ से टकराने पर वे ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न करते हैं. यह दर्शाता है कि कैथोड किरणों में गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) होती है जो पदार्थ द्वारा रोके जाने पर ऊष्मा ऊर्जा (Heat Energy) में परिवर्तित हो जाती है.
  • ये किरणें फोटोग्राफिक प्लेट (Photographic Plate) को भी प्रभावित करती हैं.
  • ये कैथोड किरणें ठोस पदार्थ की पतली पन्नी में प्रवेश कर सकती हैं.
  • आपकों बता दें कैथोड किरणें उन गैसों को आयनित कर सकती हैं जिनसे वे गुजरती हैं.
  • कैथोड किरणों की नेचर कैथोड और डिस्चार्ज ट्यूब में गैस से स्वतंत्र होती है.
  • अंतःस्थापित हुआ कि यह द्रव्यमान और ऋणात्मक आवेश वाला कण था, जिसे इलेक्ट्रॉन (Electron) कहा जाता है.

इलेक्ट्रॉन कैसे बनते हैं?

इलेक्ट्रॉन (electron) की खोज विधुत धारा के कम दाब पर गैसों से चालन के अध्ययन के दौरान हुई थी जिसे सर जे. जे. थॉमसन ने किया था.

सामान्य दाब पर गैस विधुत की कुचालक (Insulator) होती है. यदि गैस का दाब कम कर दिया जाए तो गैस से धारा प्रवाहित होने लगती है. कम दाब (low pressure) पर गैसों से विधुत धारा का प्रवाह विधुत विसर्जन यानी electric immersion कहलाता है.

विधुत विसर्जन के लिए प्रयुक्त उपकरण विसर्जन नलिया ( immersion pipe) कहलाती है. इसमें एक पाईरैक्स काँच की नली होती है जिसकी लंबाई 75 सेमी तथा व्यास 3 सेमी होता है तथा इसके दो सिरे बंद होते हैं.

दोनों धातु को electrode नली में लगाए जाते हैं तथा 20 केवी की दृष्ट धारा से जोड़ा जाता है. विसर्जन नली एक और नली निर्वाहित पम्प द्वारा जुड़ी होती है, जो विसर्जन नली में pressure कम करने में मदद करती है वहीं जबकि दाब मीटर नली में दाब नापने के काम आता है.

जब नली के अंदर का दाब 1 वायुमंडल होता है तो कोई धारा का चालन नहीं होता है क्योंकि हवा इस दाब पर अच्छी कुचालक होती है.

वही जब हवा का दबाव कम करके 10 mm पारे के दबाव के बराबर कर दिया जाता है तो धारा का चालन तीव्र तेज नली प्रकाश के रूप में होता है, जो नली में zig zag होकर बहता है.

जब नली में हवा का दबाव कम होकर पारे के 0.001 mm के बराबर हो जाती है तो नली में चमक समाप्त हो जाती है जबकि धारा बहती रहती है.

पारे के 0.01 mm दाब पर नली हरे रंग के प्रकाश से चमकने लगती है. यह चमक ज़्यादातर cathod के विपरित होती है. यह इसलिए होता है क्योंकि कुछ अदृष किरणें कैथोड से निकलकर नली पर गिरती है, जिन्हें कैथोड किरणें कहते हैं. यह किरणें आवेशित कणों से मिलकर बना होता है जिन्हें आप इलेक्ट्रॉन (Electron) कहते हैं.

इलेक्ट्रॉन की खोज का इतिहास

1879 ईo में, सर विलियम कुक्स ने कम दाब पर विसर्जन नली में भरी गैस में दो electrodes के बीच volt उत्पन कर के कैथोड पर हल्के हरे प्रकाश वाली किरणें प्राप्त की जिन्हें आप कैथोड किरणें (Cathod Ray) कहते हैं.

1895 ईo में, जीन पेरिन ने कैथोड किरणों के कणों को ऋणात्मक (Negative) पाया क्योंकि यह छोटे छोटे ऋणावेशित कणों (Negatively Charged Particles) से मिलकर बनी होती है.

आइरिस भौतिकविद जॉर्ज जॉनस्टोन स्टोनी (George Johnstone Stoney) ने इन कणों को द्रव की इकाई मानते हुए “इलेक्ट्रॉन” का नाम दिया.

1897 ईo में, सर जे. जे. थॉमसन ने इलेक्ट्रॉन की आवेश तथा भार के अनुपात का मान 1.76×10^8 कूलाॅम प्रति ग्राम निर्धारित किया. यह अनुपात विसर्जन नली के electrodes के पदार्थ या नली में उपस्थित गैस की प्रकृति पर निर्भर नहीं करता.

इलेक्ट्रॉन (Electron) के रोचक तथ्य

  • जॉन Dalton ने बोला था कि Atom की विभाजन नहीं हो सकता है लेकिन मजे की बात यह है कि आज उसी Atom को तीन कणों ( Electron, Proton, Neutron) में विभाजित किया जाता है.
  • जब यह Experiment हो रही थी तब हमारे पास यह नॉलेज तो था कि आवेश (Charge) दो प्रकार के होते हैं : धन आवेश ( Positive Charge ) और ऋण आवेश (Negative Charge), इसके साथ हमे यह भी पता था कि उन आवेश का व्यवहार कैसा है लेकिन हमें यह नहीं पता था कि इलेक्ट्रॉन ही ऋण आवेश को बनाता है.

इलेक्ट्रॉन किस तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है?

इलेक्ट्रॉन तरंग एंव कण दोनों तरह का व्यवहार प्रदर्शित करता है.

इलेक्ट्रॉन पर आवेश कितना होता है?

इलेक्ट्रॉन पर आवेश 1.6 x 10-19 कूलाम होता है, जो  ऋणावेशित होता है.

इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान कितना होता है?

इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान (electron)  9.1094×10-31 Kg होता है, जो हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का 1/1837 गुना होता है.

इलेक्ट्रॉन की खोज के लिए जे जे थॉमसन को नोबेल पुरस्कार कब मिला?

1906

इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज की थी?

अर्न्स्ट रुस्का (Ernst Ruska)

एक कूलॉम आवेश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या कितनी होती है?

6.25 × 10^18 इलेक्ट्रॉन

इलेक्ट्रॉन किस रंग का होता है?

फ्री इलेक्ट्रान (free electrons) रंग विहीन होता है.

क्या इलेक्ट्रॉन अपने नाभिक के संबंध में चलता है?

हां, इलेक्ट्रॉन नाभिक के संबंध में चलता हैं.

निष्कर्ष,

इलेक्ट्रॉन (electron) की खोज सर जे.जे. थॉमसन (Sir Joseph John Thomson) द्वारा सन् 1897 में कैथोड किरणों की जांच के दौरान किया गया था.

इस आर्टिकल में इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की, इलेक्ट्रॉन क्या होते हैं, इसकी खोज कब और कैसे हुई, इलेक्ट्रॉन की खोज का इतिहास, आदि सभी चीजों के बारे में संपूर्ण जानकारी दी गई है.

हम उम्मीद करते हैं कि हमारी यह आर्टिकल पढ़ कर कुछ नया सीखने और जानने जो मिला होगा. यदि यह आर्टिकल आपकों अच्छी लगी है तो कृपया इसे अपने दोस्तों और अन्य पढ़ने वाले छात्रों के साथ शेयर जरूर करें.

साथ ही इलेक्ट्रॉन की खोज किसने की (electron ki khoj kisne ki) से से संबंधित कोई सवाल आपके मन में है तो आप हमें नीचे कमेंट कर पूछ सकते हैं. हमारी टीम की पूरी कोशिश होती आपके पूछे गए सभी सवालों का जवाब जल्द से जल्द reply कर दिया जाए.

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