Bettiah in Hindi: क्या आपको पता है बेतिया शहर का नाम कैसे पड़ा? बिहार राज्य के जिला पश्चिमी चंपारण में यह शहर पड़ता है। राजधानी पटना से 210 किलोमीटर दूर पड़ता है यह शहर, जो भारत–नेपाल के सीमा के नजदीक है।
कहते है कोई भी शहर का नाम वहां की अपनी किसी प्रसिद्ध या खासियत के ऊपर रखा हुआ होता है। यह उस जगह की पहचान होती है। ऐसे में बेतिया शहर भी कभी अपनी इस पहचान के देशभर में मशहूर हुआ करता था।
उसी पहचान के आधार पर बेतिया का नामकरण रखा गया था। लेकिन आज उसी पहचान का अस्तित्व खत्म होने के कगार पर है। आइए जानते है ‘बेतिया’ शहर का नाम कैसे पड़ा?
बेतिया शहर का नाम – ओवरव्यू
लेख का नाम | बेतिया शहर का नाम कैसे पड़ा? |
लेख का प्रकार | स्टेट |
राज्य | बिहार |
जिला | पश्चिम चंपारण |
शहर | बेतिया |
बेतिया शहर का नाम कैसे पड़ा की विस्तृत जानकारी | कृपया लेख को पूरा पढ़ें। |
बेतिया शहर का नाम कैसे पड़ा?
एक समय में पश्चिम चंपारण जिले का बेतिया शहर चारों तरफ से बेंत के पौधों से घिरा होता था। उस समय बेतिया के कई इलाकों में बेंत के पौधों बड़े पैमाने पर मिलते थे। बेंत के पौधों की खेती के लिए मशहूर होने की वजह से शहर का नाम ‘बेतिया’ पड़ा। लेकिन आज यह पौधा कुछ जंगलों में ही सिमट कर रह गया है।
क्या बेंत के पौधे बेतिया में मिलते है?
रिपोर्ट के मुताबिक बेंत के पौधे बेतिया शहर से खत्म होने के कगार पर है। बेंत के पौधे नदी किनारे वाले क्षेत्र में ज्यादा मिलती है। यह पेड़ों के सहारे झुरमुटों के रूप में उगता है। आज यह पौधे बेतिया शहर कुछ ही इलाकों में सिमट कर रह गया है और माना जा रहा है कि आने वाले समय में यहां खत्म होने के कगार पर है।
बेतिया से सटा बैरिया प्रखंड में उदयपुर वन्य प्राणी आश्रयणी जंगल स्थित हैं जहां बड़े पैमाने पर पेड़ का पौधा (लकड़ी) मिलता है।
यह जंगल बन विभाग के निगरानी में रहता है। पर्यटकों के देखने के लिए यह जंगल खुला रहता है। यदि आप बेंत का पौधा देखना चाहते है तो इस जंगल को देख सकते है। जंगल के चारों तरफ बेंत के पौधे देखने को मिल जाता है। कहा जाता है, बेंत का झुरमुट एक बार तैयार हो जाने के बाद यह निरंतर बेंत का उत्पादन करते रहते हैं।
बेंत की लकड़ी का उपयोग
इस जंगल में बेंत का पौधा चारों तरफ देखने को मिलता है। बता दे बेंत का झुरमुट एक बार तैयार हो जाने के बाद बेंत का लकड़ी निरतन मिलती रहती है। बेंत का लकड़ी काफी मजबूत और टिकाऊ होता है जिसके फर्नीचर भी बनाई जा सकती है।
बेंत के पौधे कैसे उगते है?
आपको बता दे बेंत का झुरमुट एक बार तैयार होने के बाद इसका पौधा निरंतन उगते रहते है। यह आमतौर पर नदी के किनारे या दलदली या जल जमाव वाले स्थानों पर उगते हैं.
पानी के आसपास उगने वाले ये पौधे सूखा सहने की क्षमता भी रखते है। क्योंकि यह दलदली या जल जमाव वाले स्थानों पर उगते है इसलिए इसकी वृद्धि दर काफी तेज होती है।
यह है बेतिया की पहचान
बता दे कि बेतिया की पहचान और नामकरण इसके चारों तरफ बेंत के पौधे बड़े पैमाने पर होने के कारण पड़ा था। लेकिन आज इस शहर की पहचान का अस्तित्व खत्म हो रहा है।
पश्चिमी चंपारण जिले के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में भी आपको बेंत के पौधे देखने को मिल सकते है। साथ ही, अब इसके कुछ ही इलाकों में सिमट कर रह गया है। यू कहे, आज बेंत के पौधे और लकड़ी का अस्तित्व लगभग खत्म हो चुका है. इसका कारण कई है लेकिन कोई भी पौधे का अस्तित्व खत्म होने के कारण उसे कटना और वहां बड़े बड़े मकान बनाना होता है।
निष्कर्ष
इस लेख में आपको पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया शहर का नाम कैसे पड़ा? के बारे में बताया गया है। लेख में बताया गया यह शहर का नाम क्यों पड़ा?
हम उम्मीद करते है लेख से बेतिया शहर के नाम क्यों और कैसे पड़ा? जान कर बहुत कुछ सीखने को मिला होगा। क्या आप इस शहर के बारे में पहले से जानते थे? हमें नीचे कॉमेंट कर बता सकते है।
बेतिया शहर का नाम कैसे पड़ा? – Important Links
Home Page | Click Here |
Join Our WhatsApp Channel | Click Here |