योग की बातें तो हम सब करते हैं लेकिन क्या आपकों पता है योग का जनक कौन है (Yog Ka Janak Kaun Hai) और उनका नाम क्या है?
पूरी दुनिया में आज लगभग बहुत से लोग योग के बारे में जान चुके हैं लेकिन इसकी शुरूवात कब हुई, किसने की अथवा योग का जनक किसे कहा जाता है? बहुत कम लोग ही जानते हैं.
यदि आप स्वस्थ्य रहने के लिए रोज़ाना योग करते या इसे सीखना चाहते हैं तो सबसे पहले आपकों इसके रचयिता यानी योग के जनक (Father of Yog) के बारे में जानना चाहिए.
यही कारण है कि यहां आपकों योग दर्शन का आविष्कार, योग का जनक या योग का पिता कौन है और उनका नाम, के साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होने वाली है.
योग का जनक कौन है? (Yog Ka Janak Kaun Hai)
महर्षि पतंजलि को योग का जनक कहा जाता है. वह प्राचीन भारत के एक महान मुनि और नागों के राजा शेषनाग के अवतार थे.
इसके अलावा वह एक महान चिकित्सक भी थे जिन्हें ‘चरक संहिता’ का प्रणेता माना जाता है. साथ ही उन्हें संस्कृत के अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का रचयिता भी कहा जाता है.
पतंजलि के महानतम रचनाओं में से एक ‘योगसूत्र’ है जो जो योगदर्शन का मूलग्रन्थ है. आपकों योग से संबंधित विभिन्न प्रकार के बातें इस ग्रंथ में देखने को मिलते हैं.
उनका मानना था कि योग का मतलब अपनी चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना होता है जिसका अर्थ होता है मन को इधर-उधर भटकने न देना, केवल एक ही वस्तु में स्थिर रखना और इसी को ‘चित्तवृत्तिनिरोधः’ यानी योग कहा गया है.
पतंजलि के योगदान :
- महर्षि पातंजलि ने 3 प्रमुख ग्रन्थों की रचना की थी – योगसूत्र, अष्टाध्यायी पर भाष्य और आयुर्वेद पर ग्रन्थ.
- उन्हें ‘चरक संहिता’ का प्रणेता माना जाता है.
- वह रसायन विद्या के एक विशिष्ट आचार्य थे इसलिए इस क्षेत्र में अभ्रक विंदास, अनेक धातुयोग और लौहशास्त्र उनकी देन है.
- पतंजलि ने पाणिनी द्वारा बनाई व्याकरण के महाभाष्य की रचना कर उसे स्थिरता प्रदान की.
योग के जनक का नाम | महर्षि पतंजलि |
जन्म | 200 ई.पू |
मृत्यु | 150 ई.पू |
विषय का अध्ययन | भारतीय भाषाएँ, योग, व्याकरण |
उल्लेखनीय कार्य | योग-सूत्र, महाभाष्य |
प्रसिद्धि | योग के जनक एंव रचयिता |
पतंजलि को योग का जनक क्यों कहा जाता है?
पतंजलि को योग का जनक इसलिए कहा जाता है क्योंकि सर्वप्रथम उन्होंने ही योग विद्या को सुव्यवस्थित रूप दिया. आज आपके लिए योग का ज्ञान अगर सुलभता से उपलब्ध है तो इसका श्रेय इन्हीं को जाता है.
उन्होंने बिखरे हुए योग सूत्र की समस्या को समझते हुए 195 सूत्रों को इकट्ठा किया और अष्टांग योग का प्रतिपादन किया. वह एकमात्र ऐसे विद्वान थे जिन्होंने योग को आस्था, अंधविश्वास और धर्म से बाहर निकालकर एक सुव्यवस्थित रूप दिया था.
महर्षि पतंजलि के द्वारा अष्टांग योग साधन कुछ इस प्रकार हैं – 1. यम, 2. नियम, 3. आसन, 4. प्राणायाम, 5. प्रत्याहार, 6. धारणा, 7. ध्यान और 8. समाधि.
क्योंकि पतंजलि पहले इसे व्यक्ति थे जिन्होंने योग के विषय में जानकारी प्रदान की इसलिए उन्हें योग के जनक के रूप में जाना जाता है.
योग और योग सूत्र के रचयिता कौन है?
महर्षि पतंजलि को योग और योग सूत्र के रचयिता यानी जनक माना जाता है, जिन्होंने सबसे पहले योग विद्या को सुव्यवस्थित रूप दिया.
योग का जन्मदाता देश कौन सा है?
योग की शुरूवात और जन्मदाता देश भारत है जहां महर्षि पतंजलि के द्वारा इसकी रचना की कई थी.
योग के प्रथम आचार्य कौन है?
योग के प्रथम आचार्य महर्षि पतंजलि है जिन्होंने इसकी रचना की और इसलिए उन्हें योग के जनक भी कहा जाता है.
निष्कर्ष,
इस लेख में आपने सीखा,
योग (Yog) के जनक, प्रथम आचार्य एंव रचयिता महर्षि पतंजलि को कहा जाता है जिन्होंने सर्वप्रथम योग विद्या को सुव्यवस्थित रूप दिया था.
क्योंकि अब आपकों योग के जनक या योग के पिता कौन है (Father of Yog) के बारे में जानकारी हो चुकी है तो हम उम्मीद कर सकते हैं आपकों इससे कुछ नया जानने और सीखने को मिला होगा.
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