आपने संस्कृत शब्द जरूर सुनें होंगे लेकिन क्या आपकों संस्कृत भाषा के जनक किसे कहा जाता है (Father of Sanskrit) के बारे में जानकारी हैं?
शायद नहीं, इसलिए इस लेख में आपकों संस्कृत के जनक कौन है और उन्हें संस्कृत के जनक क्यों कहा जाता है के बारे में बताने वाले हैं.
संस्कृत भाषा की शिक्षा और इससे संबंधित अन्य जानकारियां प्राप्त करने से पहले आपको संस्कृत के पिता यानी संस्कृत का जनक कौन है के बारे में मालुम होना आवश्यक है.
यही कारण है कि इस लेख में आपको संस्कृत भाषा के जनक और उनसे जुड़ी हुई अन्य जरूरी बातों के बारे में सरल शब्दों में समझाया गया है.
तो चलिए अब जानते हैं संस्कृत के जनक कौन है (sanskrit ke janak), उन्हें संस्कृत के जनक क्यों कहा जाता है, और इससे संबंधित अन्य जानकारियां के बारे में.
संस्कृत के जनक कौन है? (Sanskrit Ke Janak)
महर्षि पाणिनि को संस्कृत के जनक कहा जाता है, जो संस्कृत भाषा के सबसे बड़े वैयाकरण हुए. उन्होंने संस्कृत का व्याकरण लिखा, जिसका अनुसरण करके ही दुनिया की सभी भाषाओं का व्याकरण निर्मित हुआ है.
इनके द्वारा लिखे गए व्याकरण का नाम “अष्टाध्यायी” है जिसमें आठ अध्याय और लगभग चार सहस्र सूत्र हैं. पाणिनि कि इसी अतुलनीय योगदान के कारण उन्हें “संस्कृत के पिता” के रूप में जानते हैं.
इनके व्याकरण में आपकों प्रकारान्तर से तत्कालीन भारतीय समाज का पूरा चित्र मिलता है. यानी “अष्टाध्यायी” व्याकरण में आपकों उस समय के भूगोल, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा और राजनीतिक जीवन के साथ – साथ दार्शनिक चिन्तन, खान-पान, रहन-सहन आदि चीजों को अंकित किया गया हैं.
आज हम जो संस्कृत भाषा के बारे में जानते, पढ़ते, लिखते और बोलते हैं उसे एक व्याकरणिक रूप देने में पाणिनि का बहुत बड़ा योगदान है. यही कारण है कि पाणिनि को “संस्कृत व्याकरण का जनक” कहा जाता है.
संस्कृत के जनक | महर्षि पाणिनि |
संस्कृत व्याकरण के जनक | महर्षि पाणिनि |
महर्षि पाणिनि कौन थे?
पाणिनि प्राचीन भारत के एक संस्कृत भाषाविद्, व्याकरणविद् और श्रद्धेय विद्वान थे, जिन्होंने सर्वप्रथम संस्कृत व्याकरण की रचना की इसलिए इन्हें “संस्कृत के जनक” भी कहते है.
नाम | पाणिनि (अंग्रेजी : Pāṇini) |
जन्म | 520 ईसा पूर्व |
मृत्यु | 460 ईसा पूर्व |
मुख्य रुचियां | संस्कृत व्याकरण, भाषाविज्ञान |
आवास | उत्तर पश्चिमी भारतीय उपमहाद्वीप |
नागरिकता | भारतीय |
माता- पिता का नाम | दक्षी, पाणिन |
भाई बहन | पिंगला |
गुरु का नाम | उपवर्ष |
मुख्य रचनाएँ (किताब) | अष्टाध्यायी |
प्रसिद्धि |
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पाणिनि को संस्कृत के जनक क्यों कहते हैं?
पाणिनि के द्वारा दी गई व्याकरण (अष्टाध्यायी) के व्यापक और वैज्ञानिक सिद्धांत को पारंपरिक रूप से शास्त्रीय संस्कृत की शुरुआत के रूप में लिया जाता है. उनके व्यवस्थित ग्रंथ ने संस्कृत को दो सहस्राब्दियों तक सीखने और साहित्य की प्रमुख भारतीय भाषा बना दिया. इसलिए पाणिनि को संस्कृत के जनक (Father of Sanskrit) कहते हैं.
संस्कृत भाषा की उत्पत्ति कैसे हुई?
संस्कृत भाषा की उत्पत्ति के दो मुख्य पहलू है : पहला जो ब्रिटिश राज में उनके द्वारा लिखा गया और दूसरा जो हमारे प्राचीन ग्रंथों तथा किताबों में मिलता है.
- ब्रिटिश के अनुसार : संस्कृत के उत्पत्ति ब्रिटिश के द्वारा लिखी गई इतिहास के अनुसार पाणिनि वह पहले विद्वान थे जिन्होंने संस्कृत के लिए व्याकरण तैयार किया था. उनके द्वारा रचित व्याकरण “अष्टाध्यायी” संस्कृत भाषा के उत्पत्ति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं. इसलिए उन्हें “संस्कृत व्याकरण के रचयिता एवं जनक” भी कहा जाता है.
- प्राचीन ग्रंथों एंव किताबों के अनुसार : संस्कृत (Sanskrit) को देवताओं की बोली कहा गया है इसलिए संस्कृत भाषा देववाणी है. प्राचीन ग्रंथों में विश्व का सबसे पुराना संस्कृत ग्रंथ ” ऋग्वेद” और अन्य दूसरे किताबों में संस्कृत भाषा की उत्पत्ति के बारे में कई बातों को बतलाया गया है. संस्कृत सनातन भाषा है, जिसकी उत्पत्ति सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा जी के मुख से बोली गई वेद से निकलता है जो संस्कृत में था.
क्या आपकों पता है? :
संस्कृत (अंग्रेजी : Sanskrit) विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है तथा समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है.
संस्कृत को देव भाषा क्यों कहा गया है?
संस्कृत को देव भाषा (Divine Language) इसलिए कहा जाता है क्योंकि :
- यह सबसे काव्यात्मक, संगीतमय भाषा है.
- यह देवताओं द्वारा बोली जाने वाली भाषा हैं.
- प्राचीन काल में सभी हिंदू शास्त्र और धार्मिक साहित्य केवल संस्कृत में बोली और लिखी गई थी.
संस्कृत के प्रसिद्ध व्याकरण कर्ता और विद्वान
संस्कृत के प्रसिद्ध व्याकरण कर्ता | उनकी मुख्य कृतियाँ |
पतंजलि | महाभाष्य |
भर्तृहरि | वाक्यापडिया |
वररुचि कात्यायन | वर्तिका |
पिंगल | चंदशास्त्र |
यास्क | निरुक्त |
संस्कृत व्याकरण का जनक किसे कहा गया हैं?
संस्कृत व्याकरण का जनक “पाणिनि” को कहा जाता है, जिनके द्वारा “अष्टाध्यायी” व्यवस्थित ग्रंथ संस्कृत भाषा के व्याकरण के लिए रचना की गई थी.
संस्कृत व्याकरण (ग्रामर) का सर्वप्रथम ग्रंथ कौन सा है?
“अष्टाध्यायी” नामक व्याकरण ग्रंथ को संस्कृत व्याकरण का सर्वप्रथम ग्रंथ माना जाता है, जिसके रचयिता महर्षि पाणिनि है.
संस्कृत भाषा का आविष्कार कब हुआ?
संस्कृत साहित्य के इतिहास के अनुसार 3500 ई. पूर्व से 500 ई. पूर्व का समय जिसे वैदिक संस्कृत काल कहा जाता है.
किस वेद को भारतीय संस्कृत का जनक कहा जाता है?
ऋग्वेद (Rig Veda) सबसे पुराना ज्ञात वैदिक संस्कृत किताब है इसलिए इसे भारतीय संस्कृत का जनक कहा जाता है.
संस्कृत को कितनी भाषाओं का मूल माना जा सकता है?
संस्कृत प्राचीन भाषा के साथ – साथ कई अन्य भाषाओं की जननी है जैसे कि हिंदी, बांग्ला, मराठी, सिन्धी, पंजाबी, नेपाली, आदि इसी से उत्पन्न हुई हैं. इसके साथ – साथ ग्रीक, लेटिन और इरानी-वर्ग की भाषाओं के साथ संस्कृत का संबंध भी मिलता है.
निष्कर्ष,
इस लेख में हमने संस्कृत के जनक कौन है (sanskrit ke janak kaun hai) और इससे संबंधित अन्य जानकारियां जैसे कि संस्कृत भाषा की उत्पत्ति, खोज, प्रसिद्ध व्याकरण कर्ता और महर्षि पाणिनि के बारे में जानकारी हासिल की.
सवाल का उत्तर है : महर्षि पाणिनि को संस्कृत के जनक एवं पिता (Father of Sanskrit) कहा जाता है.
हम आशा करते हैं इस लेख में बतलाई गई संस्कृत के जनक कौन है? के बारे में आपकों पूरी जानकारी मिल गई होगी. यदि आपकों यह लेख पढ़ कर अच्छा लगा है तो कृपया इसे शेयर करें और अपने दोस्तों एवं जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाए.
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