आधुनिक हिंदी का जनक किसे कहा जाता है यानी हिंदी का पिता कौन है और उनका नाम क्या? (Father of Modern Hindi Literature ) के बारे में जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़िए.
यहां इस लेख में आपकों हिंदी के जनक कौन है और इससे संबंधित बातों को बतलाया गया है.
हिंदी का जनक किसे कहा जाता है? (Hindi Ka Janak)
आधुनिक हिंदी का जनक भारतेन्दु हरिश्चंद्र को कहा जाता है जिन्होंने हिंदी, पंजाबी, बंगाली और मारवाड़ी सहित कई भाषाओं में अपना योगदान दिया है. इसलिए भारतेन्दु हरिश्चंद्र को “आधुनिक हिंदी साहित्य और हिंदी रंगमंच” के पिता के रूप में जाना जाता है.
भारतेन्दु हरिश्चंद्र सबसे बड़ी हिंदी लेखकों में से एक थे, जिनके लेखन की वजह से भारत की कई महत्वपूर्ण सामाजिक वास्तविकता पर असर पड़ा. लेखन के प्रति उनके रुझानों को देखते हुए काशी के विद्वानों द्वारा एक सार्वजनिक बैठक में उन्हें ‘भारतेन्दु’ का खिताब दिया गया था.
आधुनिक हिन्दी साहित्य का प्रारम्भ भारतेन्दु काल से हुआ है इसलिए भारतेन्दु हरिश्चंद्र को आधुनिक हिन्दी साहित्य का पितामह कहा जाता है.
भारतेन्दु हरिश्चंद्र (आधुनिक हिंदी साहित्य और हिंदी रंगमंच के जनक)
भारतेन्दु हरिश्चंद्र को आमतौर पर आधुनिक हिंदी साहित्य का पिता कहा जाता है, जिन्होंने हिंदी के साथ साथ कई अन्य भाषाओं में अपना योगदान दिया है जैसे कि पंजाबी, बंगाली, मारवाड़ी, इत्यादि.
वे एक कवि, निबंधकार, पत्रकार और नाटकका थे. यहीं कारण है कि उन्हें एक बहुमुखी साहित्यकार भी कहा जाता था. उन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा लोगों में राष्ट्रीय (Nationality) चेतना जागृत करी और देश में सबको जागरण का नवसंदेश दिया.
उनकी प्रमुख पत्रिकाएं में कवि वचन सुधा, हरिश्चंद्र मैगज़ीन, हरिश्चंद्र चन्द्रिका, बाला बोधिनी आदि शामिल थीं. उनका दृष्टिकोण सुधारवादी था. उन्होंने अपने साहित्य का लक्ष्य कई महत्वपूर्ण चीजों का किया था जैसे कि गरीबी, पराधीनता और शासकों के अमानवीय शोषण के चित्रण, आदि.
वे हमेशा हिंदी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने के लिए प्रयत्न किये. उन्होंने हिंदी भाषा को एक नई जन्म दी और देश में इसके बारे में अपने लेखन की वजह से अपना योगदान लगातार देते रहें इसलिए उन्हें हिंदी भाषा का जनक कहा जाता है.
भारतेन्दु हरिश्चंद्र के बारे में जानकारी
नाम | भारतेन्दु हरिश्चंद्र (Bharatendu Harishchandra) |
जन्म | 9 सितंबर 1850, वाराणसी |
मृत्यु | 6 जनवरी 1885, वाराणसी |
माता-पिता | गोपाल चंद्र |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा | नाटक, काव्यकृतियां, अनुवाद, निबंध संग्रह |
विषय | आधुनिक हिंदी साहित्य |
व्यवसाय | साहित्यकार, कवि, निबंधकार, पत्रकार और नाटकका |
उल्लेखनीय कार्य | अंधेर नगरी, भारत दुर्दशा |
पहचान | आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक (Father of Modern Hindi Literature) |
भारतेंदु हरिश्चंद्र की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी हैं?
नाटक –
- वैदिक हिंसा हिंसा न भवति (1873)
- भारत दुर्दशा (1875)
- सत्य हरिश्चंद्र (1876)
- श्री चंद्रावली (1876)
- नीलदेवी (1881)
- अँधेर नगरी (1881)
काव्य-कृतियाँ :
- भक्त-सर्वस्व (1870)
- प्रेम-मालिका (1871)
- प्रेम-माधुरी (1875)
- प्रेम-तरंग (1877)
- उत्तरार्द्ध-भक्तमाल (1876-77)
- प्रेम-प्रलाप (1877)
- गीत-गोविंदानंद (1877-78)
- होली (1879)
- मधु-मुकुल (1881)
- राग-संग्रह (1880)
- वर्षा-विनोद (1880)
- विनय प्रेम पचासा (1881)
- फूलों का गुच्छा (1882)
- प्रेम-फुलवारी (1883)
- कृष्णचरित्र (1883)
आर्टिकल समरी (Summary)
भारतेन्दु हरिश्चंद्र को Modern Hindi Literature आधुनिक हिंदी का जनक / पिता कहा जाता है, जिन्होंने हिंदी भाषा में कविताओं, नाटकों, कहानियों, आदि के रूप में अपना योगदान दिया था इसलिए इन्हें हिंदी का जनक कहा जाता है.
इसलिए इस लेख में आपकों आधुनिक हिंदी का जनक किसे कहा जाता है (Hindi Ka Janak Kise Kaha Jata Hai) के बारे में जानकारी दी है. हम आशा करते हैं कि हमारी यह पोस्ट हिंदी भाषा का जनक / पिता के बारे में आपकों पढ़ कर अच्छा लगा होगा.
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