शिवलिंग क्या है और इनके महत्व, उत्पत्ति, पूजन की विधि

क्या आपकों पता है शिवलिंग क्या है (Shivling kya hai) और इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? शिवलिंग का वास्तविक अर्थ और मतलब क्या होता है?

यदि आप शिवलिंग क्या है और इससे संबंधित बातों के बारे में नहीं जानते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़िए. इस लेख में आपकों Shivling से संबंधित सभी जरूरी बातों के बारे में जानकारी दी है जैसे कि शिवलिंग का अर्थ, इसकी उत्पत्ति, रचना, शास्त्रों में उल्लेख, शिवलिंग की परिभाषा, आदि सभी चीजों के बारे में बतलाया गया है.

अन्य धर्म के लोग बोलते हैं कि हिन्दू लोग लिंग की पूजा करते हैं. यदि आप संस्कृत नहीं जानते हैं तो आपकों बता दें संस्कृत में लिंग का अर्थ चिन्ह, प्रतीक होता है इसलिए शिवलिंग का अर्थ शिव का प्रतीक होता है.

लिंग मूलतः तीन प्रकार का होता है :

  1. पुरुष लिंग
  2. स्त्रीलिंग
  3. नपुंसक लिंग

पुरुष लिंग का मतलब पुरुष का प्रतीक होता है, स्त्रीलिंग का मतलब स्त्री का प्रतीक और वहीं नपुंसक लिंग का मतलब हुआ नपुंसक का प्रतीक.

शिवलिंग को कई नामों से जाना जाता है जैसे कि लिंगा, पार्थिव-लिंग, लिंगम् या शिवा लिंगम्, इत्यादि . हिंदू धर्म के लोगों के लिए शिवलिंग के बारे जानकरी होना अति आवश्यक है क्योंकि शिव जी की पूजा हिन्दू धर्म के लोग ही मुखतः करते हैं.

शिवलिंग क्या है और इसकी परिभाषा

शिवलिंग

शिवलिंग (Shivling) को लिंगा, पार्थिव-लिंग, लिंगम् या शिवा लिंगम् आदि के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्मांड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होता है.

शिवलिंग का अर्थ अनन्त (Infinity) भी होता है अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है न ही शुरुआत. लिंग को अक्सर वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्मांड का अक्ष व धुरी से जोड़ा जाता है.

जैसे कि हम जानते हैं हर भाषा में किसी शब्द की परिभाषा अलग अलग रूप में बतलाया जाता है. कहने का मतलब किसी एक शब्द के कई अर्थ निकल सकते हैं उसी प्रकार शिव लिंग के सन्दर्भ में लिंग शब्द से अभिप्राय चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है.

हमारा शरीर दो चीजों से मिलकर बना है पहला पदार्थ दूसरा ऊर्जा, उसी प्रकार शिवलिंग जिसमें शिव का अर्थ पदार्थ और लिंग यानी शक्ति मतलब ऊर्जा का प्रतीक से बनता है.

वास्तव में शिवलिंग का अर्थ “आकार” होता है जो हमारे ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा उर्जा में निहित है. शिवलिंग भगवान शिव तथा देवी पार्वती का आदि-अनादि एकल रूप है जो प्राकृतिक रूप से शिव मंदिरों में स्थापित होता है.

शिवलिंग सामान्यतः गोलाकार आकार का होता है जिसे हम पूजा करने के लिए स्वयम्भू व अधिकतर शिव मंदिरों में स्थापित करते हैं.

शिवलिंग का अर्थ और यह क्या दर्शाता है

संस्कृत भाषा में शिव का अर्थ स्थिरता या शव होता है और लिंग शब्द का अर्थ चिन्ह या प्रतीक होता है. इस प्रकार शिवलिंग का अर्थ होता है जो शिव का अंश या प्रतीक है.

कई अधर्मियों द्वारा शिवलिंग (Shivling ka matlab) ग़लत बतलाया जाता है जो केवल हिंदू धर्म को बदनाम करने की कोशिश की जाती है. आपकों यहां बतलाए गए शिवलिंग क्या है और इसका अर्थ के बारे में जानकारी हो गई होगी.

इसलिए आपकों किसी अधर्मियों के बहकावे में नहीं आना है और शिवलिंग का सही मतलब को समझ कर शिव जी की पूजा करनी चाहिए.

कई लोग शिवलिंग की पूजा तो करते हैं लेकिन शिवलिंग का अर्थ क्या होता है के बारे में नहीं जानते हैं. अब हम उम्मीद करते हैं आपकों शिवलिंग क्या है (Shivling kya hota hai) के बारे में सही से जानकारी हो गई होगी.

शिवलिंग की उत्पत्ति कैसे हुई?

सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई के दौरान पकी मिट्टी के शिवलिंगों से प्रारंभिक शिवलिंग पूजन के सबूत मिले हैं जो कालीबंगा और अन्य खुदाई के स्थलों पर ख़ास तौर पर पाए गए हैं. इस खुदाई से यह पता चला है कि शिवलिंग की पूजा 3500 ईसा पूर्व से 2300 ईसा पूर्व में भी की जाती थी.

क्रिस्टोफर जॉन फुलर जो एक मानवविज्ञानी रूप में जाने जाते हैं, ने लिखा है कि खुदाई के दौरान अधिकांश मुर्तियाँ मानवरूपी मिली है लेकिन शिवलिंग (Shivling) एक महत्वपूर्ण अपवाद है.

आपकों बता दें अथर्ववेद में एक ख़ास स्तम्भ की प्रशंसा की गई है जो कही न कहीं शिवलिंग से संबंधित पूजा को दर्शाता है. इसके अलावा शिव पुराण में शिवलिंग की उत्पत्ति का वर्णन अग्नि स्तंभ के रूप में किया गया है.

इसके अलावा महाभारत में द्वापर युग के अंत में भगवान शिव ने अपने भक्तों से कहा था कि आने वाले कलियुग में वह किसी खास रूप में प्रकट नहीं होगें लेकिन इसके बजाय वह हमेशा अपने भक्तों के लिए निराकार और सर्वव्यापी रहेंगे.

शिवलिंग की पूजा कैसे करें?(पूजा करने की विधि)

यहां आपकों शिवलिंग की पूजा कैसे किया जाता है के बारे में विधि बतलाई गई है :

  • सबसे पहले शिवलिंग को पंचामृत से स्नानादि कराकर उन पर भस्म से 3 आड़ी लकीरों वाला तिलक लगाएं.
  • शिवलिंग पर हल्दी न चढ़ाएं, लेकिन आप जलाधारी पर हल्दी चढ़ाई जा सकती है.
  • इसके बाद शिव जी की प्रतिमा शिवलिंग पर दूध, जल, काले तिल चढ़ाने के बाद बेलपत्र चढ़ाएं.
  • शिवलिंग पर केवड़ा तथा चम्पा के फूल न चढ़ाए. गुलाब और गेंदा किसी पंडित या पुजारी से पूछकर ही चढ़ाएं.
  • यदि आपकों फूल चढ़ाना चाहते हैं तो आप कनेर, धतूरे, आक, चमेली, जूही के फूल चढ़ा सकते हैं.
  • शिवलिंग पर चढ़ाए प्रसाद, फल, मिढाई, आदि का ग्रहण नहीं किया जाता, लेकिन सामने रखा गया प्रसाद अवश्य ले सकते हैं.
  • शिवलिंग की नहीं, बल्कि शिव मंदिर की आधी परिक्रमा ही की जाती है.
  • भगवान शिव जी की प्रतिमा शिवलिंग के पूजन से पहले पार्वतीजी का पूजन करना जरूरी है.

शिवलिंग का महत्व और पूजन के फायदे

शिवलिंग की पूजा करने से बहुत से फ़ायदे और महत्‍व है. आपकों बता दें शिवलिंग भगवान शिव जी और माता पार्वती का आदि-अनादी एकरूप है.

शिवलिंग का पूजा करने के फायदे और महत्व :

  • शिवलिंग हिंदू धर्म में अत्‍यंत शुभ माना जाता है इसलिए इनकी पूजा करने से व्‍यक्‍ति के विचारों में सकारात्‍मकता आती हैं.
  • परिवार में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए.
  • मानसिक शांति के लिए
  • कामकाज में सफलता के लिए
  • दाम्पत्य सुख के लिए
  • दरिद्रता से छुटकारा पाने के लिए
  • काम में मन लगा रहे, इसके लिए शिवलिंग की पूजा करें.

इस लेख में,

इस लेख में आपकों शिवलिंग क्या है (Shivling in Hindi) और इनके परिभाषा, अर्थ, उत्पत्ति, फायदे, महत्‍व आदि चीजों के बारे में जानकारी दी है.

हम उम्मीद करते हैं हमारी द्वारा दी गई जानकारी शिवलिंग क्या है और हिंदू धर्म में शिवलिंग की महत्व के बारे जान कर आपकों कुछ नई चीजें सीखने और जानने को मिला होगा.

यदि आपके मन में कुछ सवाल या सुझाव अब भी है तो आप नीचे दिए हैं कॉमन बॉक्स के माध्यम से हमें सूचित कर सकते हैं, हमारी पूरी कोशिश होती है आपके पूछे गए सवालों के जवाब जल्द से जल्द कर दिया जाए.

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